उपसर्ग किसे कहते है और इसके भेद

उपसर्ग किसे कहते है और इसके भेद

उपसर्ग दो शब्दों से बनकर बना है उप+सर्ग | उप का अर्थ है – समीप और सर्ग का अर्थ – सृष्टि करना|उपसर्ग का अर्थ हुआ किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना |
Upsarg Kise Kehte Hain परिभाषा – जो शब्दांश उसके आरम्भ में लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन करते है ,उन्हें उपसर्ग कहते है अर्थात भाषा के वे छोटे से छोटा सार्थक खंड ,जो शब्द के आरंभ में लगकर नए शब्द का निर्माण करता है ,उसे उपसर्ग कहते है |

 

उपसर्गो का अपना स्वतंत्र अर्थ नहीँ होता, जब किसी मूल शब्द के साथ कोई उपसर्ग जुड़ता है,तो उसके अर्थ में परिवर्तन होता है या विशेषता उत्पन्न होती है |जैसे –
उप+कार = उपकार
आ+गमन = आगमन
वि+नाश = विनाश
सम्+हार = संहार
इन वाक्यों के आरंभ में उप ,आ ,सम्, वि लगाने से इनके शब्द बने उनके अर्थ में परिवर्तन हुआ है ,इसलिए इन्हें उपसर्ग कहते है

 

उपसर्ग के प्रकार

उपसर्ग चार प्रकार के है
1. संस्कृत के उपसर्ग (Upsarg In Sanskrit)
2. हिंदी के उपसर्ग
3. अरबी – फारसी के उपसर्ग
4. अंग्रेजी के उपसर्ग

1. संस्कृत के उपसर्ग तथा उनसे बने शब्द

संस्कृत उपसर्ग – संस्कृत के कवि 21 उपसर्ग होते हैं उन सभी के बारे में एक-एक करके हमने किया आपको विस्तार से बताएंगे कि वह कौन-कौन से उपसर्ग होते हैं.

सबसे पहले हम आपको संस्कृत पेपर मूल शब्दों के बारे में बताएंगे.संस्कृत का पहला उपसर्ग अति होता है. जैसा की हमने आपको ऊपर उपसर्ग के बारे में बताया है कि जो मूल शब्द या शब्दांश शब्द के आगे जुड़कर उसको बदल देता है या उसके अर्थ को बदल देता है उसे उपसर्ग कहते हैं तो इसी तरह से हम सबसे पहले अति उपसर्ग को लेते हैं तो देखिए

1. अति और इसमें हम शय जोड़ देते हैं तो शय पहले से ही एक मूल शब्द है. और इसमें अति जोड़ने से एक नया शब्द या नया अर्थ उत्पन्न होता है.

अति + शय = अतिशय,

2. संस्कृत का दूसरा उपसर्ग अधि है. तो अधि में हम कार जोड़ देंगे यानी कार एक मूल शब्द है. और इसमें हम अधि जोड़ देंगे. और अधि जोड़ने से उसका अर्थ और यह शब्द बदल जाएगा.

अधि + कार = अधिकार

 

3. संस्कृत उपसर्ग का अगला अनु उपसर्ग है तो हम अनु में शासन जोड़ देंगे और अनु में शासन जोड़ने से इसका अर्थ और यह शब्द दोनों बदल जाएंगे जैसे

अनु + शाशन = अनुशाशन

 

4. संस्कृत उपसर्ग का अगला उपसर्ग अप है.और जैसा कि हमने आपको ऊपर एक उदाहरण में कार बताया था. तो यदि हम अप में भी कार जोड़ देते हैं. क्यंकि कार कि एक मूल शब्द है. अप में कार जोड़ने से अब कार एक नया शब्द बनता है.

अप + कार = अपकार

 

5. संस्कृत उपसर्ग का पांचवा उपसर्ग अभी होता है और अभी में हम मान मूल शब्द को जोड़ देते हैं तो इन दोनों के मेल से अभिमान एक नया शब्द बन जाता है जिसका एक अलग ही अर्थ होता है. जैसे

अभी + मान = अभिमान

 

6. संस्कृत उपसर्ग का छटा उपसर्ग अव होता है.अव और उपसर्ग में यदि हम गुण शब्द जोड़ देते हैं. तो इन दोनों के मेल से एक नया शब्द अवगुण बनता है क्योंकि गुण एक मूल शब्द है.और इन दोनों के मेल से एक नया शब्द बनता है. और उसका अलग अर्थ होता है.

 

7. संस्कृत उपसर्ग में अ शब्द का अंतिम उपसर्ग आ होता है. और यदि हम आ के कोई भी मूल शब्द जोड़ देते हैं. तो उससे एक नया शब्द और अर्थ बनता है. जैसे यदि हम आ में जीवन जोड़ देते हैं. तो इससे एक नया शब्द आजीवन जाता है. आजीवन यानी पूरी जिंदगी.

आ + जीवन = आजीवन

 

8. संस्कृत उपसर्ग में हमने आपको ऊपर सात अ उपसर्ग के बारे में बताया है. इसके बाद हम उ उपसर्ग के बारे में बताएंगे.तो उत शब्द में यदि हम कर्ष जोड़ दें तो एक नया शब्द उत्कर्ष बन जाता है. और इसका अर्थ भी अलग होता है.

उत + कर्ष = उत्कर्ष

 

9. संस्कृत उपसर्ग का अगला उपसर्ग उप है. उपर हमने आपको कार मूल शब्द के कुछ उदाहरण बताए थे और उसी तरह यदि हम उप भी कार के साथ जोड़ दें तो इसमें एक नया शब्द हमें दिखाई देगा और वह शब्द उपकार बनेगा इसका अर्थ अलग होगा यानी इन दोनों के मेल से एक और नया शब्द बनेगा.या यदि हम इस मूल शब्द के साथ देश नाम जोड़ दे तो एक नया नाम उपदेश बनेगा.

उप + कार = उपकार

 

10. संस्कृत उपसर्ग का अगला उपसर्ग दुर है. तो यदि हम इस उपसर्ग में आचार को जोड़ देते हैं. तो एक नया शब्द दुराचार बन जाएगा और यह एक नया शब्द बनेगा और दुराचार का अर्थ भी अलग होता है.

दुर् + आचार = दुराचार

 

11. इसके बाद उपसर्ग बुक सरकार अगला उपसर्ग दुस् होता है यदि हम दुस् के साथ साहस मूल शब्द को छोड़ देंगे तो एक नया शब्द दुस्साहस बन जाता दुस्साहस का अर्थ अलग होता है.

दुस् + साहस = दुस्साहस

 

12. संस्कृत उपसर्ग का अगला उपसर्ग निर होता है. तो यदि आप निर उपसर्ग का इस्तेमाल करते हैं. और उसे किसी शब्द के साथ जोड़ते हैं. तो उसका अर्थ भी अलग होता है. और वह एक अलग शब्द भी बनाता .है जैसे निर के साथ यदि हम जन जोड़ दें. तो निरजन एक नया शब्द बन जाएगा.

निर + जन = निरजन

 

13. संस्कृत उपसर्ग का अगला उपसर्ग निश है. तो यदि हम निश उपसर्ग को किसी मूल शब्द के साथ जुड़ते हैं. तो उसके अर्थ में भी परिवर्तन होगा और वह शब्द भी बदल जाएगा जैसे यदि हम निश उपसर्ग को ताल के साथ जोड़ देते हैं. उन दोनों के मेल से नए शब्द का निर्माण होगा और निशताल शब्द बन जाएगा.

निश + ताल = निशताल

 

14. संस्कृत उपसर्ग में एक नि उपसर्ग भी होता है. और यदि हम नि उपसर्ग का इस्तेमाल करके किसी दूसरे शब्द के साथ जोड़ते हैं. तो उसके अर्थ और उस शब्द दोनों में परिवर्तन होता है. जैसे कि यदि हम नि उपसर्ग को षेध के साथ जोड़ते हैं तो एक नया शब्द निषेध बन जाता है.

नि + षेध = निषेध

 

15. संस्कृत उपसर्ग का एक उपसर्ग परा भी है. और यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपसर्ग है. क्योंकि इससे शब्द में बहुत ज्यादा बदलाव हो जाता है. शब्द में भी बदलाव होता है और उसके अर्थ में भी बदलाव हो जाता है. यानी यह एक विपरीत स्थिति को दर्शा देता है. जैसे कि यदि हम परा उपसर्ग को जय के साथ जोड़ दें तो पराजय बन जाता है. या यानि ज्य का मतलब जीत होता है. और जैसे ही इसमें जोड़ दिया गया है तो इसका मतलब हार बन जाता है.

परा + जय = पराजय

 

16. संस्कृत उपसर्ग का एक उपसर्ग परि भी होता है और इस उपसर्ग का इस्तेमाल करने से भी शब्द और अर्थ दोनों में परिवर्तन होता है. जैसे कि यदि हम परि उपसर्ग के साथ नाम जोड़ दें तो परिणाम शब्द बन जाएगा यानी इसके जोड़ने से शब्द के अर्थ और शब्द दोनों में परिवर्तन हुआ है.

परि + णाम = परिणाम

 

17. इन सभी के बाद संस्कृत के उपसर्ग में एक प्र नाम का उपसर्ग भी होता है. और जब हम इस उपसर्ग का इस्तेमाल करते हैं. तो यह मूल शब्द के साथ जुड़कर शब्द के अर्थ को बदल देता है. जैसे यदि हम प्र उपसर्ग के साथ बल को जोड़ दें तो उसका नया शब्द प्रबल बन जाएगा

प्र + बल = प्रबल

 

18. संस्कृत के उपसर्ग में एक प्रति उपसर्ग भी होता है और इसके जुड़ते ही शब्द के अर्थ और शब्द दोनों में परिवर्तन होता है. जैसे ही हम इस शब्द को किसी मूल शब्द के साथ जोड़ देते हैं. तो उसका अर्थ अलग दिखाई देगा जैसे हम प्रति को कूल के साथ जोड़ देते हैं. इसका शब्द प्रतिकूल बन जाएगा यानी इसका अर्थ भी अलग हुआ और यह शब्द भी अलग बन गया.

प्रति + कुल = प्रतिकूल

 

19. संस्कृत के उपसर्ग का अगला उपसर्ग वि उपसर्ग भी होता है. और जब हम वि उपसर्ग का इस्तेमाल किसी मूल धातु के शब्द के साथ करते हैं. या उसे किसी दूसरे शब्द के साथ जोड़ देते हैं. तो उसका अर्थ बदल जाता है. जैसे यदि हमें वि उपसर्ग का इस्तेमाल देश शब्द के साथ कर दे तो वह विदेश शब्द बन जाएगा जिसका अलग अर्थ होता है देश यानी खुद का देश जहां हम रहते हैं और विदेश हमारे से दूसरा देश.

वि + देश = विदेश

 

20. इन के बाद संस्कृत का अगला उपसर्ग सम् होता है और यदि हम सम् उपसर्ग का इस्तेमाल किसी मूल शब्द के साथ करते हैं. तो उसका अर्थ और उसके साथ जुड़ने वाले शब्द दोनों बदल जाते हैं. जैसे यदि हम सम् उपसर्ग शब्द को भव के साथ जोड़ दे तो इसका नया शब्द संभव बन जाएगा.

सम् + भव = संभव

 

21. संस्कृत उपसर्ग में सबसे अंतिम उपसर्ग वह सु उपसर्ग होता है. तो यदि इस उपसर्ग के साथ भी हम कोई मूल धातु का शब्द या कोई दूसरा शब्द जोड़ देते हैं. तो उसके साथ जुड़ने पर यह उस शब्द के अर्थ को भी बदल देता है और एक नए शब्द का निर्माण करता है जैसे यदि हम सु उपसर्ग के साथ भाव जोड़ देते हैं तो उसका नया शब्द सुभाव बनेगा.

सु + भाव = सुभाव

 

2. हिन्दी के उपसर्ग एवं उनसे बने शब्द

 

संस्कृत उपसर्ग 21 प्रकार के होते हैं तो उसी तरह से हिंदी उपसर्ग 12 प्रकार के होते हैं नीचे हम आपको उनके बारे में विस्तार से बता रहे हैं हिंदी के 12 उपसर्ग कौन-कौन से हैं.

1. हिंदी उपसर्ग में पहला उपसर्ग अ होता है. और यह उपसर्ग भी संस्कृत उपसर्ग की तरह ही किसी मूल शब्द के आगे जुड़कर उसके शब्द को बदल देता है उस शब्द के अर्थ को बदल देता है जैसे अ उपसर्ग के साथ हम भाव को जोड़ देते हैं. तो एक नया शब्द अभाव बन जाएगा अभाव यानी कमी और अ उपसर्ग को मूल शब्द के साथ जोड़ने से इसके अर्थ और शब्द दोनों में बदलाव हो गया है

अ + भाव = आभाव

 

2. हिंदी उपसर्ग में दूसरा उपसर्ग नि होता है और अगर हम इसका इस्तेमाल किसी मूल शब्द के साथ करते हैं. तो यह उसके अर्थ में बदलाव कर देता है और एक नए शब्द का निर्माण भी करता है. जैसे नि उपसर्ग के साथ यदि हम डर मूल शब्द जोड़ दें. तो निडर शब्द बनता है. यानी जिसको किसी का डर ना हो और यदि हम नि उपसर्ग के साथ डर मूल शब्द जोड़ें तो यह उसके अर्थ में बदलाव कर देता है. और डर का मतलब भय होता है.

3.हिंदी उपसर्ग में उपसर्ग अन उपसर्ग होता है जिस तरह से हमने आपको ऊपर एक नि उपसर्ग का उदाहरण बताया है उसी तरह से यह अन उपसर्ग भी शब्द के आगे लगने से उसके अर्थ को बदल देता है और एक नए शब्द का निर्माण करता है. यदि हम पढ़ जो एक मूल शब्द है उसके आगे अन उपसर्ग को जोड़ देते हैं. उसके आगे अन उपसर्ग को जोड़ देते हैं तो यह एक नए शब्द का निर्माण तो करता ही है उसके साथ-साथ उसके अर्थ में बदलाव कर देता है जानी वह शब्द अनपढ़ बन जाता है.

अन + पढ़ = अनपढ़

 

4. हिंदी उपसर्ग में अगला उपसर्ग कु है यदि हम इस उपसर्ग को किसी मूल शब्द के साथ जोड़ दें तो यह उसके अर्थ में परिवर्तन कर देता है. और उसके साथ मिलकर एक नए शब्द का निर्माण करता है. जैसे कि यदि हम को कु उपसर्ग को मति मूल शब्द के साथ जोड़ दें तो यह एक नए शब्द कुमति का निर्माण करता है. मति यानी बुद्धि और कु का मतलब बुरा होता है.

कु + मति = कुमति

 

5.हिंदी का पांचवा उपसर्ग अध होता है. और यह उपसर्ग भी मूल शब्द या मूल धातु के शब्द के साथ जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन करता है. और नए शब्द का निर्माण करता है यदि हम अध उपसर्ग का इस्तेमाल मूल धातु के शब्द पका हुआ के साथ करते हैं. तो उसके बाद एक नए शब्द का निर्माण होता है और यह शब्द अधपका होता .है यानी आधा पका हुआ.

अध + पका = अधपका

 

6.हिंदी उपसर्ग में अगला उपसर्ग उन होता है. और यह उपसर्ग भी दूसरे उपसर्गों की तरह किसी भी मूल धातु के शब्द के आगे जुड़ने के बाद उसके अर्थ में परिवर्तन कर देता है और उसके साथ मिलकर एक नए शब्द को बनाता है.जैसे मान लीजिए यदि हम उन उपसर्ग को साठ के साथ जोड़ देते हैं तो वह शब्द उनसाठ बन जाता है.

उन + साठ = उनसाठ

 

7.हिंदी उपसर्ग में अगला उपसर्ग औ उपसर्ग होता है तो यह भी शब्द के आगे जुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन करता है. और नए शब्द का निर्माण भी करता है यह दूसरे उपसर्गों से थोड़ा अलग है. क्योंकि इसमें बहुत से ऐसे शब्द बनते हैं. जिनका अर्थ बहुत ही अलग होता है. जैसे अगर हम औ उपसर्ग को रत के साथ जोड़ दें तो औरत बन जाता है. इसी तरह से अगर हम इस उपसर्ग को र के साथ जोड़ते हैं तो और बन जाता है.

औ + रत = औरत
औ + र = और

 

8.उपसर्ग में हिंदी उपसर्ग में अगला दु उपसर्ग वह होता है. यह अभी मूल शब्दों के साथ जुड़ने पर उनके अर्थ में परिवर्तन करता है और उनके साथ मिलकर एक अलग नए शब्द को बना देता है. जैसे कि यदि हम दु उपसर्ग का इस्तेमाल धारू शब्द के साथ करते हैं. तो वह शब्द आगे जाकर दुधारू बन जाता है.

दु + धारू = दुधारू

 

9.हिंदी उपसर्ग में अगला उपसर्ग बिन होता है. यह भी बहुत ज्यादा मूल शब्दों के साथ लगता है. और उनके साथ लगने पर उनके अर्थ में भी बदलाव कर देता है. और नए शब्द को बनाता है. यह बहुत सी जगह पर इस्तेमाल होता है. जैसे हम किसी मूल शब्द को लेते हैं. जैसे हम बिन उपसर्ग को खाया के साथ जोड़ देते हैं तो यह उसके आगे लगने के बाद उस शब्द को बिनखाया बना देगा यानी बिना कुछ खाए और यह उसके अर्थ में भी बदलाव कर देता है.

बिन + खाया = बिनाखाया

 

10.हिंदी उपसर्ग में दसवां उपसर्ग भर होता है. तो यह भी बहुत ज्यादा शब्दों के साथ इस्तेमाल किया जाता है. और इस उपसर्ग को इस्तेमाल करने के बाद यह उस शब्द के अर्थ को बिल्कुल बदल देता है. और उसके साथ मिल कर नए शब्द को बना देता है. जैसे यदि हम भर उपसर्ग के साथ पूर लगा दे.तो यह एक नए शब्द भरपूर का निर्माण करता है.

भर + पूर = भरपूर

 

11.हिंदी उपसर्ग में 11 उपसर्ग पर होता है और यह उपसर्ग लगभग सभी जगह पर इस्तेमाल किया जाता है. और आपने भी देखा होगा पर आपको बहुत से शब्दों में लगा हुआ मिलता है. या पर का अकेले भी इस्तेमाल होता है तो यह मूल शब्दों के साथ जुड़ने पर उनके अर्थ में भी बदलाव करता है. उनके साथ मिलकर एक नया शब्द भी बनाता है. जैसे यदि हम पर उपसर्ग के साथ लोक मूल शब्द को जोड़ देते हैं तो वह परलोक बन जाता है.

पर + लोक = परलोक

 

12. हिंदी उपसर्ग में अंतिम उपसर्ग सु होता है. और यह भी दूसरे शब्दों के साथ मिलकर नए शब्द का निर्माण कर देता है. और उसके अर्थ को भिन्न कर देता है. यानी बदल देता है. जैसे कि यदि हम सु उपसर्ग का इस्तेमाल जान शब्द के साफ कर देते हैं. तो यह एक नए शब्द सुजान का निर्माण करता है. और यदि इसी तरह से हम सु उपसर्ग को डोल के साथ लगा देते हैं. तो यह सुडोल शब्द का निर्माण करता है.

सु + जान = सुजान
सु + डोल = सुडोल

 

संज्ञा किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं

अलंकार किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं

सर्वनाम किसे कहते हैं इसके कितने भेद होते हैं

 

3. अरबी-फारसी के उपसर्ग एवं उनसे बने शब्द

उपसर्गअर्थउदाहरण
दरमेंदरकिनार ,दरमियान ,दरअसल ,दरकार ,दरगुजर
कमथोड़ाकमज़ोर ,कमबख्त ,कमउम्र ,कमअक्ल ,कमसमझ
लानहींलाइलाज ,लाजवाब ,लापरवाह ,लापता ,लावारिस
के साथबखूबी ,बदौलत ,बदस्तूर ,बगैर ,बनाम
बेबिनाबेनाम ,बेपरवाह ,बेईमान ,बेरहम ,बेहोश ,बेचैन ,
बासाथ सेबाकायदा ,बाअदत ,बावजूद बाहरो
बदबुराबदनाम ,बदमाश ,बदतमीज ,बदबू ,बदसूरत ,
नाअभावनालायक ,नाकारा ,नराज ,नासमझ ,नाबालिक, नाचीज
गैरभिन्नगैरहाजिर ,गैरकानूनी ,गैरसरकारी ,गैरजिम्मेदार
हमआपस मेंहमराज ,हमदर्द ,हमजोली ,हमनाम ,हमउम्र ,हमदम
हरसबहरलाल ,हरसाल ,हरवक्त ,हररोज ,हरघडी ,हरएक
खुशअच्छाखुशबु ,खुशनसीब ,खुशमिजाज ,खुशदिल ,खुशहाल

कुछ उपसर्गों का निर्माण दो उपसर्गों से भी होता है |जैसे

अ+नि+यंत्रित = अनियंत्रित
अति+आ+चार = अत्याचार
वि+आ+करण = व्याकरण
निर+अभि+मान = निरभिमान
परि+आ+वरण = पर्यावरण
सत्+आ+चार = सदाचार
अन्+आ+गत = अनागत
अन्+आ+चार = अनाचार
अ+परा+जय = अपराजय
सु+आ+गत = स्वागत
प्रति+उप+कार = प्रत्युपकार
सु+प्र+स्थान = सुप्रस्थान

उर्दू के उपसर्ग

उपसर्गअर्थउदाहरण
अलनिशिचतअलबत्ता
कमथोड़ाकमज़ोर ,कमबख्त ,कमउम्र ,कमअक्ल ,कमसमझ
खुशअच्छे के अर्थ मेंखुशबू,खुशहाल,खुशदिल,खुशहाली
गैरनिषेधगैरकानूनी,गैरसरकारी
दरमेंदरकार,दरअसल
फीमें,परफिलहाल,फीआदमी
बेबिनाबेकाम,बेईमान,बेवकूफ,बेरहम,बेनाम,बेकसूर
लाबिनालाचार ,लाजवाब,लापरवाह,लापता,
एनठीकएनवक्त
बिलाबगैर,बिनाबिलाकसूर,बिलालिहाज
बिनारहितबिना कसूर,बिना काम
नाअभावनामुमकिन,नापसंद,नाराज,नालायक,नाचीज

4.अंग्रेजी के उपसर्ग एवं उनसे बने शब्द

उपसर्गअर्थउदाहरण
हैडप्रमुखहैडमास्टर , हैडऑपिस , हैडकांस्टेबल , हैडक्लर्क
सबछोटासब जज ,सब रजिस्टर ,सब इंस्पेक्टर ,सब कमेटी
एक्समुक्तएक्सप्रेस ,एक्स कमिश्नर ,एक्स स्टूडेंट ,एक्स प्रिंसिपल
हाफआधाहाफटिकट ,हाफरेट ,हाफकमीज ,हाफपेंट
डिप्टीस्थानापन्न प्रतिनिधिडिप्टी मिनिस्टर, डिप्टी मैनेजर, डिप्टी कलेक्टर
वाइसउपवाइस प्रिँसिपल, वाइस चांसलर, वाइस प्रेसीडेँट
जनरलसामान्यजनरल मैनेजर, जनरल इन्श्योरेँस, जनरल सेक्रेटरी
चीफमुख्यचीफ मिनिस्टर, चीफ सेक्रेटरी,चीफ इजीनियर

 

उपसर्गअर्थउदाहरण
हैडप्रमुखहैडमास्टर , हैडऑपिस , हैडकांस्टेबल , हैडक्लर्क
सबछोटासब जज ,सब रजिस्टर ,सब इंस्पेक्टर ,सब कमेटी
एक्समुक्तएक्सप्रेस ,एक्स कमिश्नर ,एक्स स्टूडेंट ,एक्स प्रिंसिपल
हाफआधाहाफटिकट ,हाफरेट ,हाफकमीज ,हाफपेंट
डिप्टीस्थानापन्न प्रतिनिधिडिप्टी मिनिस्टर, डिप्टी मैनेजर, डिप्टी कलेक्टर
वाइसउपवाइस प्रिँसिपल, वाइस चांसलर, वाइस प्रेसीडेँट
जनरलसामान्यजनरल मैनेजर, जनरल इन्श्योरेँस, जनरल सेक्रेटरी
चीफमुख्यचीफ मिनिस्टर, चीफ सेक्रेटरी,चीफ इजीनियर

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